इसरो ने रचा इतिहास, RISAT-2BR1 कक्षा में स्थापित -सेंसर से प्राप्त होगा आतंकियों का सुराग
श्रीहरिकोटा (स्वतंत्र प्रयाग): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की सबसे भरोसेमंद सैटेलाइट पीएसएलवी ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से बुधवार को अपने 50वें मिशन में पीएसएलवी सी48 समेत नौ सेटेलाइट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया।
पीएसएलवी ने एक बार फिर उम्मीदों पर पूरी तरह से खरा उतरते हुए अपनी 26 साल के सफर में एक और इतिहास रचा है। इसरो ने पीएसएलवी की मदद से आरआईएसएटी -2 बीआर 1 राडार सैटेलाइट समेत नौ विदेशी सैटेलाइटों को अंतरिक्ष की कक्ष में सफलतापूर्वक लांच किया।
इसी के साथ ही विदेशी सैटेलाइटों के लांचिंग संख्या अब 319 हो गई है जो एक नया रिकॉर्ड है। इसरो ने बताया है कि इन उपग्रहों का प्रक्षेपण न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के साथ हुए व्यावसायिक करार के तहत किया जा रहा है। स्पेस एजेंसी ने बताया कि रिसैट-2बीआर1 मिशन की उम्र पांच वर्ष है।
रिसैट-2बीआर1 से पहले 22 मई को रिसैट-2बी का सफल प्रक्षेपण किया गया था। रिसैट-2बीआर1 के अलावा पीएसएलवी जिन 9 सैटलाइट को अपने साथ अंतरिक्ष में ले जा रहा है, उनमें से एक इजरायल का है। इसे इजरायल के हर्जलिया साइंस सेंटर और शार हनेगेव हाई स्कूल के स्टूडेंट्स ने मिलकर बनाया है। इस सैटेलाइट का वजन महज 2.3 किलो है। यह एक एजुकेशनल सैटलाइट है जिस पर लगा कैमरा अर्थ इमेजिंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
इस पर लगा एक रेडियो ट्रांसपोंडर वायु और जल प्रदूषण पर रिसर्च करने और जंगलों पर नजर रखने के काम आएगा। इसे बनाने वाले तीनों इजरायली स्टूडेंट भी लॉन्च साइट पर होंगे। रिसैट-2बीआर1 में लगे खास सेंसरों के चलते सीमापार आतंकियों के जमावड़े की भी सूचना पहले ही मिल जाएगी। साथ ही सीमापार की गतिविधियों का विश्लेषण भी आसान हो जाएगा।
22 मई को लॉन्च किया गया आरआईसैट-2बी पहले से ही देश की खुफिया आंख के तौर पर निगरानी का काम कर रहा है। इसके अलावा पीएसएलवी के साथ जाने वाली 9 अन्य सैटेलाइट विदेशी हैं, जिनमें अमेरिका की 6, इस्राइल की 1, इटली की 1 और जापान की 1 सैटेलाइट है।
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